आज कुछ टाइम से भारत में वेस्ट बंगाल का लालगढ़ छाया हुवा हे इस मुद्दे पे राजनीतिक बहस बहोत चल रही हे पर इस में सचाई क्या हे ये कोई जानना नहीं चाहता बस अनजान के ये देश के दुश्मन हे देशवासी को इतना बता दिया जाता हे के ये नक्सलवाद के नाम पे जनता की ऊल्लू बनाने की कोसिस हो रही हे आखिर ये नक्सलवादी चाहते क्या हे ये वो लोग हे जो सदियों से सोचित हे वंचित हे न तो वहा कोई प्राइमरी फेसिलिटी हे ना एजुकेशन हे और फिर उ़पर से देश के दुश्मन घोषित किया जा रहा हे और लुटेरे घोषित कर दिए हे मगर चचाई ये नहीं हे उन लोगो का भी कोई ध्येय हे वो ध्येय के लिए लड़ रहा हे
यहाँ एक चीज हे मरता भी आपना हे मरता भी आपना हे. उन लोगो के सामने जरुरत पड़ने पर मिलेट्री का इस्तमाल किया जाता हे या फिर अर्ध सेनिक दल सि.आर.पि.एफ.या फिर सि.आई.एस.एफ.या फिर अन्य दल के नो जवानो को भेज दिया जाता हे क्योके सरे नोजवान गरीब घरके हे मरे तो मरे पर पुजिवादियो के गहर तो भरते हे.ज्यादातर मिलेट्री में भी गाव के किसानो के बेटे या मजदूरों के बेटे हे कोई बड़ा पॉलिटिकल लीडर या अभिनेता या फिर जानामाना बिजनेसमेन आपने संतान को आर्मी में भेजेगा किया ? और ये वाचित लोगो के सामने लडाई करेगा तो या तो वो मरेगा या ये लोग मरेगे याने के मरता भी अपना हे मरता भी अपना हे. आज तक कम्युनिस्ट पार्टी ने उसको सपोट किया क्यों और इन लोगो ने उसपे प्रतिबंध नहीं डाला क्यों के चच्ची लोकशाही की यही पहेचान हे मगर पूजीवादी सरकारों ने प्रतिबंध लगा दिया था मगर वो सिर्फ नाम का हे वो भी आजतक कुछ प्रतिबंध लगा के कर नहीं पाए हे क्योके एक गुन्डे को पकड़ना आसान हे मगर आपना सही ध्येय वाले देश को तुम नहीं मार शकते ये अब दिन प्रतिदिन ध्येय की लडाई बनती जा रही हे और पुरे देश में उसकी ज्वाला एक दिन फेल जायेगी.
एक दिन एक बड़े लीडर मानिस तिवारी ने इंडिया टीवी के सामने ऐसा बोला के ये देश के दुश्मन हे ये अगर दुश्मन हे तो तुम लोग देश के कोंसे बड़े दोस्त हो आज़ादी के 63 साल के बाद भी तुमने इन लोगो की स्थिति में कोई सुधर नहीं लाया हे तो ये क्या तुम्हें राम मंदिर में बिठाके पूजा करेगे तो देश के दुश्मन क्यों बन गए ये क्यों लडाई के वक़्त बंगले तोडे क्यों कोई गरीबो को नहीं जलाया आप लोगो ने तो गरीब शिखो को भी नहीं छोडा था दंगो में तो तुम कोण थे और श्रीलंका की मिलेट्री को वेपन देके 2,000,00, तमिलों के जान लिया तब तुम कोंसे बड़े मानवता के पुजारी हो जो ये लोग देश के दुश्मन हे अगर कोई अपना हक़ इश देश की सम्पति पर जताए तो वो देश का दुश्मन बन जाये मगर याद रखो देश की सामान्य जनता उश्के साथ हे हमारे भाई हे वो लोग और बुरे वक़्त उश्का सपोर्ट करना हमारा फर्ज मानते हे इस लिए आप महेलो में रहने वालो के दुश्मन होगे पर हमारे जेसे गरीब किसानो के बेटे के वो दोस्त ही नहीं बलके भगवान से भी ज्यादा हे क्यों तुम्हारे बेटे को मरने के लिए मिलेट्री में नहीं भेजते हो वो अगर देश के दुश्मन हे तो उसके सामने लडाई लड़ने के लिए इंडियन आर्मी में आपने बेटे को भेज के आपने देश भक्ति का साबुत देश की जनता के सामने क्यों नहीं रखते हो
आप के पास ये तब तुम्हे इनके ही बेटे याद आते हे सहादत देने केलिए गरीब किसान और मजदुर का बेटा सम्पति बटने के लिए तुमरे परिवार के बहोत सारे नाम हे !और वो भी आप के परिवार के ज्यादा नाम हे और इस लड़ी में देश की सामान्य जनता को कोई नुकशान नहीं हे अगर नुकसान हे तो देश के दुश्मन और अमेरिका इंग्लैंड के और वर्ल्ड बेंक के पास भारत की सम्पति को गिरवी रख के पैसा लेने वाला लोगो को और स्विच बेंक में खाते रखने वाले लोगो को नुकशान हे मगर जोप्दा में रहने वालो को कुछ गवाना नहीं हे सिर्फ आपने हाथ में बंधी जंजीरे निकाल कर फेक्देगे तो उन्हें भी बहोत कुछ मिलेगा जो इन को सदियों से नहीं मिला हे और उनकी गुलामी भी ख़तम हो जायेगी .
Monday, June 22, 2009
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स्वागत है मित्र।
ReplyDeleteगुजरात की भूमि में हिन्दी प्रेम अभी भी उतना ही है जितना दयानन्द और गांधी के समय में था।
एक अलग सा विचार पढ़ना रोचक था। लेकिन मात्रा और वर्णों की अशुद्धियों ने दु:खी कर दिया। आप बहुत उबल कर लिखे हैं, अच्छा है। पर लेखन में संयम उसे शक्ति और गम्भीरता देता है।
श्वेत बैकग्राउण्ड पर काले अक्षर पढ़ने की दृष्टि से अच्छे होते हैं। वैसा कर सकें तो अच्छा हो।
आशा है बिना माँगी सलाह देने के लिए बुरा नहीं मानेंगे।
narayan narayan
ReplyDeleteLikhte rahiye.
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